पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने तीन साल से निष्क्रिय पड़े करीब आठ हजार खातों को बंद कर दिया है। ये वे खाते हैं, जिनमें तीन साल से एक भी रुपये का लेनदेन नहीं हुआ।
बैंक ने इनके धारकों को कई बार नोटिस भेजकर चेतावनी भी दी थी। विभाग ने इसे सुचारू रूप से चालू रखने के लिए धारकों को 31 मई तक का समय भी दिया था। इसके बावजूद धारकों ने कोई कार्रवाई नहीं की।
पीएनबी में 10 हजार खाताधारकों में से कुछ ऐसे भी धारक हैं, जिनके खाते तीन साल से निष्क्रिय रहने या जीरो बैलेंस होने के बाद भी बंद नहीं किए गए हैं। वहीं, इनमें लॉकर या डीमैट खाते भी शामिल हैं। साथ ही 25 साल से कम उम्र के ग्राहकों और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए खोले गए खातों को भी बंद नहीं किया गया है।
अगर कोर्ट, आयकर विभाग या किसी अन्य कानूनी संस्था के आदेश पर किसी खाते को फ्रीज किया गया है, तो उन खातों को भी इससे छूट दी गई है। बैंक अधिकारियों के मुताबिक निष्क्रिय खातों को बंद करने का फैसला सुरक्षा कारणों से लिया जा रहा है।
कई बार निष्क्रिय खातों का गलत इस्तेमाल भी किया जाता है। बाद में इसका इस्तेमाल धोखाधड़ी या मनी लॉन्ड्रिंग जैसे अवैध कामों के लिए किया जा सकता है। ऐसे में इन्हें बंद करने का फैसला लिया गया है। लीड बैंक मैनेजर इंदु जायसवाल का कहना है कि किसी खाते के निष्क्रिय होने के कई कारण हो सकते हैं।
संभव है कि खाताधारक एक से अधिक खाते इस्तेमाल कर रहा हो। हो सकता है कि उसकी मौत हो गई हो। ऐसी स्थिति में बैंक कई बार नोटिस भेजता है। लेकिन उसके बाद भी सक्रिय न होने पर उसे निष्क्रिय घोषित कर दिया जाता है। फिर बैंक चाहे तो उसे बंद भी कर सकता है
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