बिहार के पटना, गया और दरभंगा एयरपोर्ट यात्रियों की संख्या के मामले में देश में प्रमुख स्थान रखते हैं । लेकिन, यात्री सुविधाओं के मामले में कई प्रस्तावित योजनाओं का क्रियान्वयन होना अभी बाकी है । वहीं, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, सासाराम और रक्सौल एयरपोर्ट हर चुनाव में मुद्दा बनते हैं, प्रस्ताव और योजना स्वीकृति का मामला भी आगे बढ़ाया जाता है ।
लेकिन, इंतजार खत्म नहीं हो रहा है । Patna field के छोटे रनवे ने इसे दशकों से खतरनाक की श्रेणी में रखा हुआ है । वहीं, विकल्प के तौर पर बिहटा में बड़ा टर्मिनल बनाने में आ रही बाधाएं दूर नहीं हो रही हैं । पिछले साल वित्तीय स्वीकृति मिली थी ।
अब प्रशासनिक स्वीकृति के साथ टेंडर प्रक्रिया का इंतजार है । बिहटा एयरपोर्ट के लिए पहले चरण में 126 एकड़ जमीन दी गई । इसके अलावा आठ एकड़ जमीन की मांग की गई, जिसके अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है ।
सात करोड़ रुपये की लागत से चहारदीवारी बनाई गई है । निर्माण कार्य में पांच साल से अधिक की देरी हो चुकी है । दरभंगा एयरपोर्ट पर 911 करोड़ की लागत से 54 एकड़ में बन रहे नए टर्मिनल भवन का काम अब तक पूरा नहीं हो पाया है । रनवे के विस्तार और रात में टेक ऑफ और लैंडिंग की सुविधा का इंतजार लंबा होता जा रहा है । एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की मानें तो एक- दो महीने में नाइट लैंडिंग का काम पूरा हो जाएगा ।
सासाराम एयरपोर्ट !!
2013 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति ने छोटे एयरपोर्ट के निर्माण को मंजूरी दी थी । सर्वे के लिए टीम भी आई थी, लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ा । इससे बिहार के साथ- साथ झारखंड को भी फायदा होता । सासाराम के सांसद छेदी पासवान ने 2023 में इसे लोकसभा में उठाया था, तब नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कहा था कि राज्य सरकार की ओर से अभी तक जमीन की व्यवस्था नहीं की गई है, जिसके कारण योजना लंबित है !!
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